ॐ गीता की कुछ शब्दावली - २८ बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ... (अध्याय ४ - श्लोक ५). பஹூநி மே வ்யதீதாநி ஜன்மாநி தவ சார்ஜுன .. (அத்யாயம் 4 - ஶ்லோகம் 5). Bahooni Me Vyateetaani Janmaani Tava Chaarjuna .. (Chapter 4 - Shloka 5). अर्थ : मैंने कई जन्म बिताये हैं । तुम ने भी । मैं उन सभी जन्मों से अभिज्ञ हूं | परन्तु तुम अनभिज्ञ हो | पुनर्जन्म के सम्बन्ध मे श्री कृष्ण का यह अद्भुत उद्घोष है | मनुष्य जीवन की ओर् देखने के दो प्रकार की दृष्टी हैं | प्रथम : यह एकमेव जीवन है | जन्म से प्रारम्भ होता है | मृत्यु पर समाप्त हो जाता है | (माता की कोख मे बिताये काल की गिनती कैसी हो??) इस दृष्टी मे सब कुछ रेषा जैसे, आदि और अन्त सहित रेषा, जैसे देखे जाते हैं | (Linear View). दूसरी दृष्टी चक्रीय है | सृष्टी मे सभी चक्रीय है | अनादि एवं अनन्त | हम जिन विभिन्न आदि और अन्त का अनुभव करते ...
राम गोपाल रत्नम्