ॐ गीता की कुछ शब्दावली - ३६ द्वंद्वातीत ... (अध्याय ४ - श्लोक २२) த்வந்த்வாதீத ... (அத்யாயம் 4 - ஶ்லோகம் 22) Dwandwaatheetha ... (Chapter 4 - Shloka 22) अर्थ : द्व याने दो | द्वन्द्व याने दो का परस्पर संघर्ष | मल्ल युद्ध द्वन्द्व कहा जाता है | द्वन्द्वातीत याने द्वन्द्वों के पार | संघर्ष रहित | हम अपने आस पास कई परस्पर विरोधी, संघर्ष युक्त जोडी देखते हैं | एक रहता तो दूसरा नहीं | एक आता तो दूसरा चला जाता | प्रकाशमय दिन है तो अन्धेरी रात्री भी | उष्ण बरसाता धूप काल है तो हड्डियों को हिला देने वाला ठण्ड भी | जिह्वा के लिये मधुर मधु और नारियल पानी है तो कडवा करेला भी | आंखों के लिये सुदर्शनीय कमल और गुलाब है तो कण्टकमयी टेढी मेढी कैक्टस भी | निसर्ग मे कर्ण के लिये मधुर कोयल की सुस्वर कू - कू है तो गधे का बेसुरा और कर्णकठोर रेङ्गना भी | स्पर्श के लिये मृदु रेशम है तो विपरीत ऊन भी | ये सब् अपने इन्द्रियों के अनुभवों मे प्र...
राम गोपाल रत्नम्