ॐ
गीता की कुछ शब्दावली (३)
नानुशोचितुम (अध्याय २ - श्लोक २५) / नैवं शोचितुम (अध्याय २ - श्लोक २६) / न त्वं शोचितुम (अध्याय २ - श्लोक २७) / का परिदेवना ? (अध्याय २ - २८) |
நானுஷோசிதும் (அத்யாயம் 2 - ஷ்லோகம் 25) / நைவம் ஷோசிதும் (அத்யாயம் 2 - ஷ்லோகம் 25) / ந த்வம் ஷோசிதும் (அத்யாயம் 2 - ஷ்லோகம் 25) / கா பரிதேவனா ? (அத்யாயம் 2 - ஷ்லோகம் 25)
Naanshochitum (Ch 2 - Sh 25) / Naivam Shochitum (Ch 2 - Sh 26) / Na Twam shochithum (Ch 2 - Sh 27) / Kaa pardevanaa ? (Ch 2 - Sh 28).
अर्थ : शोक ना करो | चिन्ता ना करो | वाह ! उत्तम शब्द हैं ये | क्यों शोक करें ? चिन्ता के लिये कारण ही कहां है ?
गरीबी ?? (तुलना करना अच्छा नहीं | परन्तु किन्हीं संदर्भ मे शोक को मारने मे, दुःख को भगाने मे तुलना उपयोगी है |) अपने चारों ओर देखो | तेरे सम गरीब, तुझसे भी घोर गरीब हैं | लाखों मे हैं | तेरे पास पढाई है | कोई नौकरी पाकर अपनी जीवनी कमा सकता है | तुझमे कोई ना कोई क्षमता है, कला है | उसके आधार पर प्रयत्न कर सकता है और कमा सकता है | तेरे पास आयु है , निरोगी और सशक्त शरीर है | परिश्रम कर सकता है | और निश्चित कमा सकता है | और संसार मे तू अकेला तो नहीं | तुझे आधार देने योग्य अच्छा परिवार है, अच्छे मित्र हैं | फ़िर शोक किसलिये ??
स्वयम् का एक घर नहीं ?? किराया देकर रह सके , इतना धन तो है ? रास्ते के किनारे, फ़ुटपाथ पर या रेल्वे प्लाटफ़ार्म पर तो रहता नहीं ??
कठोर परिस्थिती ?? जीवन की चक्रगती है | कुछ भी निरन्तर नहीं | 'कभी न बदलने वाली' ऐसी कोई परिस्थिती नहीं | कोई भी परिस्थिती घोर अन्धकार युक्त अनन्त गुफ़ा नहीं | सभी परिस्थितियों का अन्त है | परिवर्तन निश्चित है | जो गया है , उसे पुनः आना है | जो प्राप्त है उसे जाना है | अपने मे दृढता एवम् धीरज जगा | प्रयत्न मे लगा रह | परिवर्तन आयेगा | कष्ट सुख मे और अन्धकार प्रकाश मे बदलेगा | मन की भावना ही स्वयम् के लिये मित्रों और परिस्थितियों को अपनी ओर आकर्षित करती है | उचित भावना जगाओ | बदल आयेगा | कम से कम परिस्थिती की सामना तो प्रसन्न मुख कर सकेगा | शोक क्यों ??
गीता एक कदम आगे जाकर यह कहती है की " मृत्यु भी शोक का कारण नही |" मृत्यु तो केवल शरीर का है | तु शरीर नहीं | अतः तेरी मृत्यु नहीं | तु तो सत् - चित - आनन्द परमात्मा का एक अंश है | आनन्द, असीम आनन्द ही तेरा स्वरूप है | शोक युक्त मुखौटा क्यों ओढता है ??
अर्थ : शोक ना करो | चिन्ता ना करो | वाह ! उत्तम शब्द हैं ये | क्यों शोक करें ? चिन्ता के लिये कारण ही कहां है ?
गरीबी ?? (तुलना करना अच्छा नहीं | परन्तु किन्हीं संदर्भ मे शोक को मारने मे, दुःख को भगाने मे तुलना उपयोगी है |) अपने चारों ओर देखो | तेरे सम गरीब, तुझसे भी घोर गरीब हैं | लाखों मे हैं | तेरे पास पढाई है | कोई नौकरी पाकर अपनी जीवनी कमा सकता है | तुझमे कोई ना कोई क्षमता है, कला है | उसके आधार पर प्रयत्न कर सकता है और कमा सकता है | तेरे पास आयु है , निरोगी और सशक्त शरीर है | परिश्रम कर सकता है | और निश्चित कमा सकता है | और संसार मे तू अकेला तो नहीं | तुझे आधार देने योग्य अच्छा परिवार है, अच्छे मित्र हैं | फ़िर शोक किसलिये ??
स्वयम् का एक घर नहीं ?? किराया देकर रह सके , इतना धन तो है ? रास्ते के किनारे, फ़ुटपाथ पर या रेल्वे प्लाटफ़ार्म पर तो रहता नहीं ??
कठोर परिस्थिती ?? जीवन की चक्रगती है | कुछ भी निरन्तर नहीं | 'कभी न बदलने वाली' ऐसी कोई परिस्थिती नहीं | कोई भी परिस्थिती घोर अन्धकार युक्त अनन्त गुफ़ा नहीं | सभी परिस्थितियों का अन्त है | परिवर्तन निश्चित है | जो गया है , उसे पुनः आना है | जो प्राप्त है उसे जाना है | अपने मे दृढता एवम् धीरज जगा | प्रयत्न मे लगा रह | परिवर्तन आयेगा | कष्ट सुख मे और अन्धकार प्रकाश मे बदलेगा | मन की भावना ही स्वयम् के लिये मित्रों और परिस्थितियों को अपनी ओर आकर्षित करती है | उचित भावना जगाओ | बदल आयेगा | कम से कम परिस्थिती की सामना तो प्रसन्न मुख कर सकेगा | शोक क्यों ??
गीता एक कदम आगे जाकर यह कहती है की " मृत्यु भी शोक का कारण नही |" मृत्यु तो केवल शरीर का है | तु शरीर नहीं | अतः तेरी मृत्यु नहीं | तु तो सत् - चित - आनन्द परमात्मा का एक अंश है | आनन्द, असीम आनन्द ही तेरा स्वरूप है | शोक युक्त मुखौटा क्यों ओढता है ??
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