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गीता की कुछ शब्दावली (५)

गीता की कुछ शब्दावली (५)

व्यवसायात्मिका बुद्धिः एकेह | (अध्याय २ - श्लोक ४१)
வ்யவஸாயாத்மிகா புத்திஹி ஏகேஹ. (அத்யாயம் 2 - ஸ்லோகம் 41)
Vyavasaayaatmikaa Buddhihi Ekeha. (Chapter 2 - Shlokam 41)

अर्थ : एक बुद्धि भगवान् की प्राप्ती मे और आत्मज्ञान मे युक्त साधन है | दूसरे शब्दों मे ऐसा भी कह सकते हैं | परमात्मा के प्राप्ती के लिये एवम् आत्मज्ञान की प्राप्ती के लिये शाखा रहित 'एक बुद्धि' अनिवार्य है |

'एक बुद्धि' विशेष गुण है | इससे संसारी विषयों मे यश प्राप्ति भी सुलभ है | मनः शान्ति भी सुनिश्चित है | परन्तु 'एक बुद्धि' की प्राप्ति कठिन और दुर्लभ है | साधारणतः मनुष्य की बुद्धि बहु-शाखा युक्त है | अनेक दिशाओं मे फ़ैलती है | उस के कारण मनुष्य के प्रयत्न एवम् ऊर्जा बिखर जाते हैं | अनिश्चयी स्वभाव् जो अधिकतर मनुष्यों मे पाया जाता है इसी बहु-शाखा युक्त अनेक बुद्धि का परिणाम है |

निर्णय लेने मे सहायक सूचना देना ही बुद्धि का कार्य है | परन्तु "इस अवसर पर कौनसा वस्त्र पहनूं", "होटल मे कौनसा पकवान्न मंगाऊं" जैसे अत्यल्प विषयों मे भी अनेकानेक सूचनायें प्रस्तुत करती है मनुष्य की बुद्धि | अलमीरा मे जमे दर्जनों कपडों मे किसे चुने यह उल्झन लेकर मिनिटों बिताते हुए स्त्री पुरुष; दुकान मे कौनसा सामान खरीदें यह निश्चय करने मे कई घण्टें 'माल' मे बिताते हुए असमर्थ व्यक्ति; रेस्त्रों मे वेटर से 'पांच मिनिट के बाद आ जाओ, हमने अब तक निर्णय लिया नहीं' ऐसे कहने वाले; दैनन्दिन हम ऐसे कई व्यक्तियों से मिलते हैं | शरीर अस्वस्थ हो जाता है तो घरेलू उपाय से लेकर नवीनतम वैद्यकीय सलाह तक, मित्रगण और पत्रिकाओं मे कई वर्ष पहले पढे कई सूचनाओं को स्मृती कोष से निकाल कर सुझाती है बुद्धि और मनुष्य को सुझाओं की इस जाल मे फंसाती है | विद्या का कौन सा क्षेत्र, व्यवसाय का कौनसा क्षेत्र, विहार के लिये उचित क्षेत्र, आदि आदि कई विषयों मे 'बहु शाखा युक्त बुद्धि' अनेकानेक सुझाव देकर मनुष्य को घेरती है |

क्या एक बुद्धि की प्राप्ति हेतु सभी विकल्प मिटाये जाने चाहिये ? विकल्प उपलब्ध न होने पर क्या 'एक बुद्धि' की प्राप्ति आसान हो जायेगी ? विकल्पों के विषय मे अज्ञान से बुद्धि मे शाखायें निर्माण होना थम सकता है | और मनः शान्ति प्राप्त हो सकती है | आदि-मानव इसी स्थिति मे अपना जीवन बिताया होगा | परन्तु अन्य समुदायों के साथ संपर्क, निसर्ग मे प्रचलित विविधता एवम् मनुष्य का जिज्ञासू स्वभाव आदि के फल स्वरूप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे मनुष्य ने हजारों हजारों विकल्पों का निर्माण किया है | विकल्पों का नाश असंभव है |

विकल्पों को अनुपलब्ध कर दिया तो? आतङ्की सरकार या समुदाय द्वारा स्थापित नियमों की सहायता से साधारण मनुष्य तक विकल्प ना पहुंचे ऐसी व्यवस्था की जा सकती है | इतिहास मे अनेक बार अनेक समुदाय मे इस प्रकार का प्रयत्न किया भी गया | इस से मनः शान्ति के विपरीत असन्तुष्ट समाज, चारित्र्य हनन, तस्करी, घूस्खोरी, काला बजार, हिंसा और रक्त पात जैसे दुष्परिणाम ही निकले |

एक बुद्धि यह आन्तरिक क्रान्ति है | वस्त्र ... अनेकानेक आकर्षक रङ्गों मे वस्त्र उपलब्ध होते हुए भी श्वेत वस्त्र पहनने का निर्णय; चमकते हुए कई प्रकार के सूत बाजार मे उपलब्ध भले हों परन्तु सादी खादी पहनने का निर्णय; अनेक वर्ण, स्वाद् युक्त कई पक्वान्न और मिठाई दुकान मे उपलब्ध भले हो परन्तु केवल भूख मिटाने हेतु भोजन करने का निश्चय; दुकान मे भले अनेकानेक आकर्षक वस्तु हों परन्तु आवश्यकता हो तो ही खरीदने का निर्णय; पूर्ण श्रद्धा के साथ एक ही स्वरूप का पूजन, एक ही मार्ग मे प्रयत्न और एक ही गुरु का अनुगमन; ये सब् एक बुद्धि के लक्षण हैं | (ख्रिस्ती, इस्लाम जैसे आब्रहामिक संप्रदाय द्वारा घोषित सूचना से अलग है यह सुझाव | वे भी एक स्वरूप, एक पुस्तक एवम् एक मार्गदर्शक सुझाते हैं | परन्तु अन्य मार्गों को असत्य, शैतानी और पैशाची मानते हैं | उसके विपरीत, यहां दिया गया सुझाव है की "हां | अन्य कई मार्ग हैं | उनपर चलने वाले यात्री भी अनेक हैं | और प्रत्येक मार्ग सत्य की ओर ले जाने वाला है | परन्तु तुम्हें तो अपने लिये एक ही मार्ग का चयन करना है, दृढता और श्रद्धा के साथ उसपर चलना है" |)

इन्द्रिय के विषयों का राग, विषय सुख की कामना, और लौकिक वस्तु जैसे नाम, प्रसिद्धि, पद, अधिकार के पीछे दौढ, आदि बुद्धि मे शाखाओं की निर्मिती मे सहायक हैं | आध्यात्मिक मार्ग मे प्रयत्न, छोटे से 'मैं और मेरा' से ऊपर उठकर समाज, राष्ट्र जैसे विस्तृत इकाइयों से अपने आप को जोडना, आदि "शाखा रहित एक बुद्धि" की प्राप्ति मे सहायक है |

एक बुद्दि को दर्शाने श्री आल्बर्त श्वैत्जर् (Dr Albert Schwitzer) [१८७५ - १९६५] एक उत्तम उदाहरण हैं | वे ख्रिस्ती पादरी बनकर आफ़्रिका पहुंचे | कई वर्ष वहां कार्य करने के बाद उन्हे लगा की आफ़्रिका मे बैबिल प्रचार से वैद्यकीय सेवा ही अधिक आवश्यक है | अपनी आयु ३२ मे उन्होंने वैद्यकीय शिक्षण संस्था मे प्रवेश प्राप्त किया | अपने ४० वर्ष की आयु मे मेडिकल उपाधी प्राप्त किया और पुनः आफ़्रिका पहुंच गये डाकटर बनकर | उन्हें चर्च का विरोध रहा होगा | वैद्य बनने के बाद स्वदेश जर्मनी मे आकर्षक पर्याय उन्हें प्राप्त हुए होंगे | बढती आयु मे सुख सुविधा मे साथ घर मे रहने की लालसा उनके मन मे जगी होंगी | परन्तु आफ़्रिका के जन समुदाय के लिये ही उन्होंने वैद्यकीय शिक्षण प्राप्त करने का निर्णय लिया था | अब वैद्य बनने के बाद उनका यह ज्ञान उसी आफ़्रिकी जन समुदाय की सेवा मे समर्पित किया जाना ही उचित है | कोई भ्रम नहीं | बुद्धि की कोई शाखा नहीं | एक ही सुझाव और एक ही निर्णय | उनका यह निर्णय सराहनीय, श्रेष्ट निर्णय ऐसा हमें लग सकता है | परन्तु 'एक बुद्धि' युक्त उनके लिये यह निर्णय सहज था | श्वास के समान सहज |

मैं ऐसा एक विद्यार्थी को जानता हूं जो अपने परिवार की आर्थिक एवम् सामाजिक स्थिति को ऊंचा उठाने का संकल्प को हृदय मे बान्धकर, अपने परिवारजनों को अच्छे दिन दिखाने की प्रेरणा लेकर वैद्यकी शिक्षण हेतु प्रवेश परीक्षा मे ६ बार असफल होकर भी सातवी बार सफल हुआ और डाकटर बना |

मैं एक संन्यासी से परिचित हूं जिन्होंने अपने दसवी कक्षा की आयु मे पिता से सन्यास बनने की अनुमति मांगा थी | (पिता की अनुमति के बिना संन्यासी बन नहीं सकता |) "बारहवी के बाद" ऐसा कह, पिता ने मना किया | बारहवी परीक्षा के बाद पुत्र ने अनुमति के लिये पुनः प्रार्थना किया | पिता ने मना किया यह कहकर की "महाविद्यालय प्रवेश कर पदवी तो प्राप्त करो, फिर देखें" | पिता ने यह सोचा होगा की वह संसार के लुभावी विषयों मे फंस जायेगा और संन्यासी बनने की उसकी इच्छा कालक्रम मे दुर्बल हो जायेगी | परन्तु नहीं | पुत्र तो एक बुद्धि वाला था | दृढ निश्चयी था | पदवी प्राप्त करने के बाद संन्यास मार्ग मे जानेकी अनुमती की याचना किया पिता से | एक बडी रक्कम का उल्लेख करते हुए पिता ने उससे कहा "जाओ | कम से कम दो मास इस रक्कम कमाकर लाओ तो तुम सन्यासी बन सकते हो" | पुत्र ने केवल पांच वर्ष में पिता के हाथ उनसे कही गयी रक्कम थमाया और सन्यासी बनकर निकल पडा | (मैंने ऐसा सुना की पिता उस समय मूर्छित हो गये |)

एक बुद्धि जन्म सिद्ध है | परन्तु आत्मावलोकन के साथ आध्यात्मिक प्रयत्न या किसी समर्थ गुरु के सस्नेह मार्गदर्शन मे की गयी साधना 'एक बुद्धि' की प्राप्ती मे युक्त साधन हैं | इस जन्म मे नहीं तो आगामी जन्म मे निश्चित एक बुद्धि प्राप्त होगी |

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