ॐ गीता की कुछ शब्दावली - २० कृत्स्नविन्न विचालयेत् | (अध्याय ३ - श्लोक २९) க்ருத்ஸ்னவின்ன விசாலயேத் (அத்யாயம் 3 - ஸ்லோகம் 29) Krutsnavinna Vichaalayet (Chapter 3 - Shloka 29). अर्थ : ज्ञानी पुरुष (अपने शब्दों द्वारा) अज्ञानियों के मन मे भ्रम निर्माण कर उसकी श्रद्धा एवम् उत्साह भङ्ग ना करें | हम मे से अनेक यही तो करते हैं | यह प्रवृत्ति सभी क्षेत्रों मे, सभी स्थानों मे हम सभी द्वारा दर्शायी जाती है | हम भले ही हमारे पितरों से अधिक शिक्षित हैं | परन्तु भोले भालों का अज्ञानियों का खण्डन करने मे, निरुत्साहित करने मे, भ्रमित करने मे तज्ञ हैं | एक व्यक्ति 'अ' दूसरे किसी 'ब' पर आदर श्रद्धा रखता है | अपने मन मे स्थित आदर भाव को वह शब्दों मे व्यक्त करता है तीसरे व्यक्ति 'क' के पास | यह तीसरा व्यक्ति 'क', ब को जानता हो या नहीं, परन्तु 'अ' के मन मे जो आदर भाव है उसे हिलाने का प्रयत्न मे लगेगा इसी की शक्यता अधिक है | मैं जब विद्यार्थी था और सामाजिक, राष्ट्रीय विचारों मे रुची लेने लगा था, उस समय मेरे मन मे श्री अटल बिहारी ...
राम गोपाल रत्नम्