ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - ४५
एकं सांख्यं च योगं च .. (अध्याय ५ - श्लोक ५)
ஏகம் ஸாங்க்யம் ச யோகம் ச ... (அத்யாயம் 5 - )
Ekam Saankhyam Cha Yogam Caha .. (Chapter 5 - Shlokam 5)
अर्थ : सांख्य और योग एक ही हैं ।
Ekam Saankhyam Cha Yogam Caha .. (Chapter 5 - Shlokam 5)
अर्थ : सांख्य और योग एक ही हैं ।
यह एक हिन्दू मन की वाणी है । हिन्दू मानस में यह विचार स्पष्ट और गहरा बसा हुआ है । यह विचार हिन्दू जन जीवन में अनेक रूप में प्रकट होता हुआ दीखता है । भारत में एक तमिळ भाषी देहरादून मे या एक मारवाड़ी दक्षिणी छोर मदुरै मे जाकर बसता है और सामाजिक वातावरण भिन्न होते हुए भी वहाँ सहज जी पाता है । तमिळ नाड़ मे सौराष्ट्र गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र आदि प्रदेशों में इस्लामी आतंक से पीड़ित जन, हजारों, ना लाखों की संख्या मे तमिळ नाड़ मे बसे हुए हैं । गोआ मे ख्रिस्ती आतंक से पीड़ित कोंकणी लाखों की संख्या में केरल और कर्नाटक मे बसे हुए हैं । सहज और सानन्द जी रहें हैं । सदियों से जी रहें हैं । अपनी भाषा, वेष-भूषा खानपान आदि बचाये हुए स्थानीय जन के साथ घुलमिलकर जी रहें हैं । ये लोग अपने रीति रिवाज़ सम्प्रदाय आदि छोड़कर स्थानीय रीति रिवाज़, सम्प्रदाय आदि अपनायें ऐसा प्रयास ना जनता की और से ना ही राजा की और से किये गए । तमिळ नाड़ में द्रविड वाद पर आधारित सरकार चली उस समय भी ऐसे किसी प्रयास हुए नहीं ।
ना केवल अपनों के लिए अन्य देशों से आये अन्य धर्मीयों के प्रति भी हिन्दुओं की यही वृत्ती रही है । केरल में यहूदी और गुजरात, मुम्बई में पारसी जन ज्वलंत उदाहरण हैं । ये दोनों समुदाय अपने अपने स्वदेश में (यहूदियों का इस्राइल और पारसियों की पर्शिया या आज का ईरान) ख्रिस्ती एवं इस्लामी मतान्तरित स्वबान्धवों द्वारा उखाड़ फेंके गए और शरणार्थी बन कर भारत में आये । यहाँ लगभग १५०० वर्षों से जी रहें हैं स्वाभिमान, गौरव और स्वत्व के साथ । यहूदियों ने अस्सी देशों में अपने २००० वर्ष लंबा शरणार्थी जीवन के बारे में लिखते हुए कहा है। . हम अपनी पूजा-स्थल और साम्प्रदायिक रीतियों के साथ, बिना किसी भेद भाव या जोर जबर्दस्ती जीवन बिता सके तो केवल एक भारत भूमी पर । हिंदुओं की इस वृत्ती के प्रति कृतज्ञता जताते हुए पारसी अपने समाज के लिए विशेष अल्प संख्यक दर्जा और पृथक चुनावी क्षेत्र के प्रस्ताव को अस्वीकारा । 'हम हिन्दूओं के साथ सदियों से जी रहे हैं । हिन्दुओं के साथ ही आगे भी जियेंगे' ।
हिन्दुओं का यही विचार के कारण जग भर किसी भी देश में जा बस सके उस भूमि को पवित्र मानकर, वहाँ की नदी को ही गंगा मानकर, उस देश पर ही अपनी निष्ठा रखकर । दक्षिण आफ्रिका, वेस्ट इंडीज़ जैसे देशों में बसे लाखों हिन्दू इस बात की पुष्टी कर रहें हैं ।
'सब कुछ बस एक ही है '; 'भेद हैं तो केवल बाहरी हैं तत्त्व तो एक है '; हिन्दू चिंतन को प्रकट करता है एक शब्द ... भी । यह भी एक मार्ग है । यह भी एक दिव्य पुस्तक है । यह भी मसीहा या देव दूत है । इसी लिए हिन्दू सभी को अपने में समा लेता है उनके स्वत्व को मिटाये बिना । अन्य धर्मों का, विशेषतः ख्रिस्ती और इस्लाम का आधार शब्द है .... केवल । केवल यही सत्य है । केवल यही मसीहा है । केवल यही देव वाणी है आदि आदि । इसी कारण इस्लाम बहूल, ख्रिस्ती बहूल देशों में वाद है, हिंसा है, रक्तपात है युद्ध है ।
ना केवल अपनों के लिए अन्य देशों से आये अन्य धर्मीयों के प्रति भी हिन्दुओं की यही वृत्ती रही है । केरल में यहूदी और गुजरात, मुम्बई में पारसी जन ज्वलंत उदाहरण हैं । ये दोनों समुदाय अपने अपने स्वदेश में (यहूदियों का इस्राइल और पारसियों की पर्शिया या आज का ईरान) ख्रिस्ती एवं इस्लामी मतान्तरित स्वबान्धवों द्वारा उखाड़ फेंके गए और शरणार्थी बन कर भारत में आये । यहाँ लगभग १५०० वर्षों से जी रहें हैं स्वाभिमान, गौरव और स्वत्व के साथ । यहूदियों ने अस्सी देशों में अपने २००० वर्ष लंबा शरणार्थी जीवन के बारे में लिखते हुए कहा है। . हम अपनी पूजा-स्थल और साम्प्रदायिक रीतियों के साथ, बिना किसी भेद भाव या जोर जबर्दस्ती जीवन बिता सके तो केवल एक भारत भूमी पर । हिंदुओं की इस वृत्ती के प्रति कृतज्ञता जताते हुए पारसी अपने समाज के लिए विशेष अल्प संख्यक दर्जा और पृथक चुनावी क्षेत्र के प्रस्ताव को अस्वीकारा । 'हम हिन्दूओं के साथ सदियों से जी रहे हैं । हिन्दुओं के साथ ही आगे भी जियेंगे' ।
हिन्दुओं का यही विचार के कारण जग भर किसी भी देश में जा बस सके उस भूमि को पवित्र मानकर, वहाँ की नदी को ही गंगा मानकर, उस देश पर ही अपनी निष्ठा रखकर । दक्षिण आफ्रिका, वेस्ट इंडीज़ जैसे देशों में बसे लाखों हिन्दू इस बात की पुष्टी कर रहें हैं ।
'सब कुछ बस एक ही है '; 'भेद हैं तो केवल बाहरी हैं तत्त्व तो एक है '; हिन्दू चिंतन को प्रकट करता है एक शब्द ... भी । यह भी एक मार्ग है । यह भी एक दिव्य पुस्तक है । यह भी मसीहा या देव दूत है । इसी लिए हिन्दू सभी को अपने में समा लेता है उनके स्वत्व को मिटाये बिना । अन्य धर्मों का, विशेषतः ख्रिस्ती और इस्लाम का आधार शब्द है .... केवल । केवल यही सत्य है । केवल यही मसीहा है । केवल यही देव वाणी है आदि आदि । इसी कारण इस्लाम बहूल, ख्रिस्ती बहूल देशों में वाद है, हिंसा है, रक्तपात है युद्ध है ।
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