ॐ गीता की कुछ शब्दावली - ४७ पद्म पत्रमिवान्भसा ... (अध्याय ५ - श्लोक १० ) பத்ம பத்ரமிவாம்பஸா ... (அத்யாயம் 5 - ஶ்லோகம் 10) Padma Patramivaambhasaa ... (Chapter 5 - Shlokam 10) अर्थ : जल में पद्म पत्र के समान । यह हिन्दू ग्रन्थों में प्रयोग किये गए अनेक सुन्दर उपमाओं में एक है । पद्म पत्र . . कमल की पत्ती जल में रहती है । जल से घिरी रहती है । परंतु अलिप्त रहती है । अपने को गीला करने की अनुमति , अपने को भिगाकर डुबोने की अनुमति अपने चारों और स्थित जल को देती नहीं । हम इस संसार में रहते हैं । मनुष्य से घिरे , विषयों से घिरे , मान अपमान से घिरे , इच्छा द्वेष से घिरे , सुख दू:ख , यश अपयश से घिरे संस्था और उनमे अनेक पदों से घिरे हुए हैं । इनके बीच रहना अनिवार्य है । एकान्त असंभव है । हम जंगल में भाग चले जाना चाहते हैं । जन , नगर, अनेकानेक विषयों से दूर किसी अरण्य में या गुफा में या नदी तीर पर वास सभी के लिए संभव नहीं है । आजकल ऐसे स्थानों में...
राम गोपाल रत्नम्