ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - ७८
गीता की कुछ शब्दावली - ७८
यो यो याम याम तनुम्भक्तः श्रद्धयार्चितुम् इच्छति , तस्य तस्याचलाम् श्रद्धाः तामेव विदधाम्यहम् । (अध्याय ७ - श्लोक २१)
யோ யோ யாம் யாம் தனும்பக்தஹ் ஶ்ரத்தயார்சிதும் இச்சதி தஸ்ய தஸ்யாசலாம் ஶ்ரத்தாஹ் தாமேவ விததாம்யஹம் ... (அத்யாயம் 7 - ஶ்லோகம் 21)
Yo Yo Yaam Yaam TanumBhaktah Shraddhayaarchtum Icchati Tasya Tasyaachalaam Shraddhaam Taameva Vidadhaamyaham ... (Chapter 7 - Shloka 21)
अर्थ : जो जो जिस जिस प्रकार से श्रद्धा के साथ जिस भी देव रूप की अर्चना आराधना करता है , उसकी श्रद्धा को मैं दृढ बनाता हूँ ।
भारत को 'सैक्युलरिज़म' का उपदेश देने वाले ! इस शब्दावली (अथवा श्लोक) को अवश्य पढ़ें । अन्य देशों में तो 'सेकुलरिज्म' केवल राजकीय धोरण है । भारत में सर्व सामान्य हिन्दू का यह श्रद्धा है । आस्था है । सर्व पंथ सम भाव अपने हृदयों में ठूस ठूस कर भरा है ।
श्री कृष्ण कहते हैं की , 'मुझे भजो और पूजो' । अपने मन में हमारे प्रति जो स्नेह प्रेम है , उसके कारण ऐसा कहते हैं । हम श्री कृष्ण का ही पूजन करें तो भी सही । श्री कृष्ण के रूप में प्रकट उस सनातन परम तत्त्व की ही आराधना करें तो भी सही । यहाँ उससे एक कदम बढ़कर यह कह रहे हैं की , "परमात्मा की उपासना किसी अन्य देव प्रतिमा के माध्यम से करते हो तो भी सही । श्रद्धा सहित करना । मैं उस श्रद्धा को सुदृढ़ बनाऊँगा ।
हिन्दू धर्म इस्लाम जैसे अन्य प्रतिमा के पूजक अर्चक को काफ़िर कहकर उसकी ह्त्या करने का आदेश नहीं देता । अन्य उपासना केंद्रों को ध्वस्त कर देव प्रतिमा को भंग करने का निर्देश नहीं देता । साधारण जनों का , तलवार के नोक पर , आतंक के बल पर मत परिवर्तन कराने की फ़तवा नहीं निकालता । पंथ के नाम से इतिहास को रक्त प्रवाहित नहीं करता ।
हिन्दू धर्म ख्रिस्ती पंथ जैसा अन्य मतावम्बियों को 'Pagan' घोषित नहीं करता । उनको छल कपट , प्रलोभन , आतंक आदि के भरोसे मतान्तरण करने का प्रयत्न नहीं करता । मत परिवर्तन द्वारा राज्यों पर कब्जा कर , उन प्रदेशों नैसर्गिक संसाधनों का शोषण नहीं करता ।
हिन्दू धर्म में मतान्तरण मान्य नहीं है । धर्म के आधार पर रचा गया सम्प्रदाय है हिन्दू सम्प्रदाय । श्रद्धा इसकी नींव है । यदि कोई श्री रमण महर्षि , श्री रामकृष्ण परमहंस , श्री कांची परमाचार्य या अन्य किसी भी सन्न्यासी के पास आये और 'मुझे हिन्दू बनाइये' ऐसा निवेदन करें , तो इनके मुख से एक ही उत्तर निकलेगा । "तुम अपने ही पथ पर श्रद्धा और दृढ़ता से बढ़ते रहो । निश्चित ही परमात्मा की कृपा के पात्र बनोगे" ।
परन्तु एक सावधानी ! उदात्त यह धारणा ही हिन्दू धर्म और हिन्दू जन के लिए घातक , नाशक ना बन जाए । इस्लाम और ख्रिस्ती पन्थ , 'मेरा भगवान् - तेरा भगवान' कहकर समाज को विभाजित करने वाले प्रयत्न हैं । मत परिवर्तन कर , समूहों को भड़काकर , हिंसा छेड़कर , देश का विभाजन कराने वाले षड़यंत्र हैं । ये दोनों आध्यात्मिक प्रयास नहीं । परम तत्त्व की दिशा निर्देश करने वाले पथ नहीं । अपने देश का इतिहास इस का साक्षी है । अपने आँखो के सामने पाकिस्तान , कश्मीर और नागालेंड , मिजोराम में दिन प्रति दिन मचने वाली घोर हिंसा इस विषय में हमारे लिए चेतक हैं । अतः , ख्रिस्ती एवं इस्लामी मत परिवर्तन बंद होने चाहिए । भय , प्रलोभन और झूट के आधार पर गत शताब्दियों में मत परिवर्तित सभी को पुनः हिन्दू बनाकर , हिन्दू धर्म में सम्मिलित करना होगा । यदि भारत को जीवित रहना है , यदि हिन्दू धर्म को जीवित रहना है , यदि हिन्दू धर्म के उदात्त सिद्धांतों को जीवित रहना है , यदि 'secularism' संवैधानिक धोरण को जीवित रहना है तो यह आवश्यक है । परम आवश्यक है । शीघ्रादि शीघ्र किये जाने की अवश्यकता है ।
भारत को 'सैक्युलरिज़म' का उपदेश देने वाले ! इस शब्दावली (अथवा श्लोक) को अवश्य पढ़ें । अन्य देशों में तो 'सेकुलरिज्म' केवल राजकीय धोरण है । भारत में सर्व सामान्य हिन्दू का यह श्रद्धा है । आस्था है । सर्व पंथ सम भाव अपने हृदयों में ठूस ठूस कर भरा है ।
श्री कृष्ण कहते हैं की , 'मुझे भजो और पूजो' । अपने मन में हमारे प्रति जो स्नेह प्रेम है , उसके कारण ऐसा कहते हैं । हम श्री कृष्ण का ही पूजन करें तो भी सही । श्री कृष्ण के रूप में प्रकट उस सनातन परम तत्त्व की ही आराधना करें तो भी सही । यहाँ उससे एक कदम बढ़कर यह कह रहे हैं की , "परमात्मा की उपासना किसी अन्य देव प्रतिमा के माध्यम से करते हो तो भी सही । श्रद्धा सहित करना । मैं उस श्रद्धा को सुदृढ़ बनाऊँगा ।
हिन्दू धर्म इस्लाम जैसे अन्य प्रतिमा के पूजक अर्चक को काफ़िर कहकर उसकी ह्त्या करने का आदेश नहीं देता । अन्य उपासना केंद्रों को ध्वस्त कर देव प्रतिमा को भंग करने का निर्देश नहीं देता । साधारण जनों का , तलवार के नोक पर , आतंक के बल पर मत परिवर्तन कराने की फ़तवा नहीं निकालता । पंथ के नाम से इतिहास को रक्त प्रवाहित नहीं करता ।
हिन्दू धर्म ख्रिस्ती पंथ जैसा अन्य मतावम्बियों को 'Pagan' घोषित नहीं करता । उनको छल कपट , प्रलोभन , आतंक आदि के भरोसे मतान्तरण करने का प्रयत्न नहीं करता । मत परिवर्तन द्वारा राज्यों पर कब्जा कर , उन प्रदेशों नैसर्गिक संसाधनों का शोषण नहीं करता ।
हिन्दू धर्म में मतान्तरण मान्य नहीं है । धर्म के आधार पर रचा गया सम्प्रदाय है हिन्दू सम्प्रदाय । श्रद्धा इसकी नींव है । यदि कोई श्री रमण महर्षि , श्री रामकृष्ण परमहंस , श्री कांची परमाचार्य या अन्य किसी भी सन्न्यासी के पास आये और 'मुझे हिन्दू बनाइये' ऐसा निवेदन करें , तो इनके मुख से एक ही उत्तर निकलेगा । "तुम अपने ही पथ पर श्रद्धा और दृढ़ता से बढ़ते रहो । निश्चित ही परमात्मा की कृपा के पात्र बनोगे" ।
परन्तु एक सावधानी ! उदात्त यह धारणा ही हिन्दू धर्म और हिन्दू जन के लिए घातक , नाशक ना बन जाए । इस्लाम और ख्रिस्ती पन्थ , 'मेरा भगवान् - तेरा भगवान' कहकर समाज को विभाजित करने वाले प्रयत्न हैं । मत परिवर्तन कर , समूहों को भड़काकर , हिंसा छेड़कर , देश का विभाजन कराने वाले षड़यंत्र हैं । ये दोनों आध्यात्मिक प्रयास नहीं । परम तत्त्व की दिशा निर्देश करने वाले पथ नहीं । अपने देश का इतिहास इस का साक्षी है । अपने आँखो के सामने पाकिस्तान , कश्मीर और नागालेंड , मिजोराम में दिन प्रति दिन मचने वाली घोर हिंसा इस विषय में हमारे लिए चेतक हैं । अतः , ख्रिस्ती एवं इस्लामी मत परिवर्तन बंद होने चाहिए । भय , प्रलोभन और झूट के आधार पर गत शताब्दियों में मत परिवर्तित सभी को पुनः हिन्दू बनाकर , हिन्दू धर्म में सम्मिलित करना होगा । यदि भारत को जीवित रहना है , यदि हिन्दू धर्म को जीवित रहना है , यदि हिन्दू धर्म के उदात्त सिद्धांतों को जीवित रहना है , यदि 'secularism' संवैधानिक धोरण को जीवित रहना है तो यह आवश्यक है । परम आवश्यक है । शीघ्रादि शीघ्र किये जाने की अवश्यकता है ।
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