ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - १४५
कालोSस्मि लोकक्षयकृत प्रवृद्धो ... (अध्याय ११ - श्लोक ३२)
காலோ(அ)ஸ்மி லோகக்ஷயக்ருத் ப்ரவ்ருததோ ... (அத்யாயம் 11 - ஶ்லோகம் 32)
Kaalo(a)mi LokaKshayaKrut Pravruddho ... (Chapter 11 - Shloka 32)
अर्थ : जीवों का क्षय करने वाला काल हूँ मैं ।
काल यह शब्द समय को दर्शाता है । मृत्यु और मृत्यु देवता को भी दर्शाता है । अतीत , वर्तमान और भविष्य मैं हूँ । गणना करने वाला काल मैं हूँ । ऐसा विभूति योग में कहने वाला श्री कृष्ण उसी दसवे अध्याय में आगे कहते हैं संयमित करने वाला यम मैं ही हूँ । हम यमराज को अलग मानने की संभावना होने के कारण ऐसा कहा होगा । काल (समय) और काल (मृत्यु) इन दोनों में अंतर नहीं । काल ही मारता है । समय के प्रवाह में सभी वस्तुओं का , जीव शरीरों का क्षय होना सहज है । समय कम या अधिक लग सकता है ।
यहाँ किसी भी प्रकार का सन्देह के लिए स्थान न देते हुए सीधा कह रहे हैं , "इन सब वीरों का क्षय करने ही मैं आया हूँ ।" इनकी मृत्यु निश्चित है , तू मारे या ना मारे । मैं ने तो इन्हें मार दिया है । ऐसा कहकर श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं की , "तू निमित्त मात्र बन सकता है" । "मेरे कार्य में एक योग्य उपकरण बन सकता है" । "तेरे हाथ में बस इतना ही है" । हम इसे अगली श्रृंखला में चर्चा करेंगे ।
एक अमेरिकी मनो वैज्ञानिक का भारत के बारे में लिखा हुआ लेख पढ़ा । "संसार में मृत्यु सब से कम दुःख दर्द देने वाला अनुभव यदि किसी देश में है तो वह भारत में" । निश्चित है । अनिवार्य है । काल प्रवाह में होना नैसर्गिक है । मृत्यु ईश्वरी कार्य है । हिन्दुओं के मन में , गहराई में यह सत्य बसा हुआ है । इसी कारण मृत्यु यहाँ सहज स्वीकार्य है ।
यहाँ किसी भी प्रकार का सन्देह के लिए स्थान न देते हुए सीधा कह रहे हैं , "इन सब वीरों का क्षय करने ही मैं आया हूँ ।" इनकी मृत्यु निश्चित है , तू मारे या ना मारे । मैं ने तो इन्हें मार दिया है । ऐसा कहकर श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं की , "तू निमित्त मात्र बन सकता है" । "मेरे कार्य में एक योग्य उपकरण बन सकता है" । "तेरे हाथ में बस इतना ही है" । हम इसे अगली श्रृंखला में चर्चा करेंगे ।
एक अमेरिकी मनो वैज्ञानिक का भारत के बारे में लिखा हुआ लेख पढ़ा । "संसार में मृत्यु सब से कम दुःख दर्द देने वाला अनुभव यदि किसी देश में है तो वह भारत में" । निश्चित है । अनिवार्य है । काल प्रवाह में होना नैसर्गिक है । मृत्यु ईश्वरी कार्य है । हिन्दुओं के मन में , गहराई में यह सत्य बसा हुआ है । इसी कारण मृत्यु यहाँ सहज स्वीकार्य है ।
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