ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - १५१
तेषां के योग वित्तमाः ? ... (अध्याय १२ - श्लोक १)
தேஷாம் கே யோகவித்தமாஹ ... ? (அத்யாயம் 12 - ஶ்லோகம் 1)
Teshaam Ke YogaVithTamaah ... ? (Chapter 12 - Shloka 1)
अर्थ : दोनों प्रकार के उपासकों में श्रेष्ट कौन है ?
अर्जुन का प्रश्न है यह । श्रेष्ट कौन ? मनुष्य का यह सामान्य स्वभाव है । तुलना करना ... मूल्यांकन कर स्तर का निर्णय करना ... साधारण और श्रेष्ट ऐसे वर्गीकरण करना और जो श्रेष्ट माना गया वह अपना हो जाए इस हेतु प्रयत्न करना । यदि अपने पास हो तो मदान्वित होना । यह सामान्य मनुष्य का सामान्य स्वभाव है । अर्जुन भी सामान्य मनुष्य ही तो है । एक विशेषता यह है की अर्जुन तुलना कर , श्रेष्ट का निर्णय करने का दायित्त्व श्री कृष्ण के हाथ सौंप दिया ।
दो प्रकार के उपासकों में श्रेष्ट कौन है ? यही अर्जुन का प्रश्न । निर्गुण , निराकार परब्रह्म परमात्मा की उपासना करने वाला और सगुण साकार श्री कृष्ण की उपासना करने वाला इन दोनों में श्रेष्ट कौन ? वह जानना चाहता है । अपने इन्द्रियों के अनुभव के आधार पर या अपनी अल्प बुद्धि की निर्णय शक्ति के आधार पर निर्णय न लेते हुए योगेश्वर श्री कृष्ण को ही निर्णय कर बताने कह रहा है । यह अर्जुन का भाग्य है । उसके प्रश्न के परिणाम से श्री कृष्ण द्वारा भक्ति और भक्त के विषय में विस्तृत वर्णन भक्ति योग नामक अध्याय स्वरुप हमें प्राप्त हुआ है , यह हमारा भाग्य है ।
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