ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - १७५
विविक्त देश सेवित्त्वम ।। (अध्याय १३ - श्लोक १०)
விவிக்த தேஶ ஸேவித்வம் .. (அத்யாயம் 13 - ஶ்லோகம் 10)
Vivikta Desha Sevithvam .. (Chapter 13 - Shloka 10)
अर्थ : एकान्त स्थान में रहने का स्वभाव होना ।।
एकान्त रहने की इच्छा । एकान्त स्थान याने ऐसे स्थान जहाँ अन्य कोई न हो । किसी वन , नदी का किनारा , गुफा , गिरी शिखर , जैसे स्थान । परन्तु इस से भी अधिक महत्त्व पूर्ण मन में एकान्त का अनुभव । ऐसे एकान्त स्थान का पता लगाना सुलभ है , जहाँ अन्य कोई व्यक्ति न हो । तक पहुँचना भी कठिन नहीं होगा । मनुष्य की इस आवश्यकता की पूर्ती के लिए नवीन युग के कई महाराज ऐसे स्थानों में बड़े बड़े आश्रम खड़ा किये हैं । एकान्त ढूंढने वाले हजारों में शुल्क भरकर इस आश्रमों में दो चार दिन रहते हैं , महाराज के प्रवचन सुनते हैं और आध्यात्मिक प्रगति का भ्रम लेकर लौटते हैं ।
जहाँ अन्य मनुष्य कोई ना हो ऐसे स्थान से अधिक महत्त्वपूर्ण है मन में एकान्त निर्माण करना । यही सही अर्थ में एकानर है । भीड़ , आवाज और हड़बड़ाहट भरे स्थानों में रहे तो भी , हड़बड़ाहट को अपने भीतर प्रवेश ना देना ही एकान्त है । आसपास क्या चल रहा है यह जानने की उत्सुकता , पास पडोसी के जीवन में क्या बीत रहा है , विशेष रूप से उसके सामने आने वाले कष्ट और दुःख को जानने की रूचि , अन्यों के जीवन में घड़ने वाले प्रसंग अपने भीतर प्रभावित करने की अनुमति .. आदि भीतरी एकान्त के लिए बाधक हैं ।
भीतर एकान्त रहे बिना बाहर एकान्त स्थान को ढूंढना मानो भीतर आंधी को रख बाहर शान्ति ढूंढना जैसे है । मैं स्वयं जब आठवी का विद्यार्थी था , नागपुर से जबलपुर बस प्रवास में इस प्रकार का आंतरिक एकान्त का अनुभव किया । भीतर एकान्त परिपूर्ण हो तो बाहर के वातावरण और हलचल हमें बाधित करते नहीं ।
जहाँ अन्य मनुष्य कोई ना हो ऐसे स्थान से अधिक महत्त्वपूर्ण है मन में एकान्त निर्माण करना । यही सही अर्थ में एकानर है । भीड़ , आवाज और हड़बड़ाहट भरे स्थानों में रहे तो भी , हड़बड़ाहट को अपने भीतर प्रवेश ना देना ही एकान्त है । आसपास क्या चल रहा है यह जानने की उत्सुकता , पास पडोसी के जीवन में क्या बीत रहा है , विशेष रूप से उसके सामने आने वाले कष्ट और दुःख को जानने की रूचि , अन्यों के जीवन में घड़ने वाले प्रसंग अपने भीतर प्रभावित करने की अनुमति .. आदि भीतरी एकान्त के लिए बाधक हैं ।
भीतर एकान्त रहे बिना बाहर एकान्त स्थान को ढूंढना मानो भीतर आंधी को रख बाहर शान्ति ढूंढना जैसे है । मैं स्वयं जब आठवी का विद्यार्थी था , नागपुर से जबलपुर बस प्रवास में इस प्रकार का आंतरिक एकान्त का अनुभव किया । भीतर एकान्त परिपूर्ण हो तो बाहर के वातावरण और हलचल हमें बाधित करते नहीं ।
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