ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २२६
प्रलयान्तामुपाश्रिताः .. (अध्याय १६ - श्लोक ११)
ப்ரலயாந்தாம் உபாஶ்ரிதாஹ் .. (அத்யாயம் 16 - ஶ்லோகம் 11)
Pralyaantaam Upaashritaah .. (Chapter 16 - Shloka 11)
अर्थ : प्रलय काल तक की अवश्यकताओं के लिये संग्रह करना ..
मनुष्य की अवश्यकतायें हैं । उनकी पूर्ती के लिये वस्तू की प्राप्ति अवश्यक है । उदाहरण से भूख की तृप्ति के लिए भोजन की अवश्यकता है । भोजन सामग्री दैनन्दिन खरीदे जा सकते हैं । व्यवस्था हो तो सप्ताह भर के लिये , मास भर के लिये संग्रहित हो सकते हैं । जीवन के अन्तिम क्षण तक की अवश्यकता के लिये कोई व्यवस्था करना चाहे तो ?? इस मानसिकता को आसुरी कह रहे हैं श्री कृष्ण ।
संग्रह करना , आध्यात्मिक साधना में बाधक है । अपरिग्रह दैवी प्रवृत्ति माना गया है । पतञ्जलि योग सूत्र में पाँच यमों में एक है अपरिग्रह । अपरिग्रह याने संग्रह ना करना । न्यूनतम अवश्यकताओं के साथ जीना ।
आर्थिक और प्राकृतिक दृष्टी में भी संग्रह बाधक है । आज की अर्थ नीति अधिक , और अधिक खरीदने को प्रोत्साहित करती है । जितना अधिक खरीदी होगी उतना ही अर्थ व्यवस्था के लिए पोषक है , यह विचार रखा जाता है । इसका परिणाम से हमारे अधिकांश घर वस्तुओं के गोदाम बन गये हैं । जो देखा उसे खरीदो । जो आकर्षक है उसे खरीदो । जिसमे डिस्काउंट उपलब्ध है उसे खरीदो । जिसके साथ कोई अन्य वस्तु 'फुकट' में प्राप्त हो , अल्प से अल्प ही क्यों न हो , उसे खरीदो । उधार में खरीदो । अवश्यकता का विचार न करते हुए खरीदो । (बार कोड के कारण) वस्तु का दाम देखे बिना खरीदो । घरों में मनुष्यों के लिये उठना , बैठना , चलना , पैर फैलाना आदि भी कठिन हो जाय इतने सामान संग्रहित हैं । घरों में चप्पल , जूते , प्लास्टिक बोतल , मोबाईल फोन , मोबाईल फोन चार्जर , आदि ढीग जम गये हैं । घरों से निकल रहा कचरा के लिये रास्तों पर रखे बड़े बड़े डब्बे भरकर बह रहे हैं । नगरों में जम रहा कचरा गाओं में एकड़ों भूमि पर फेंके जा रहा है । शक्ति शाली देशों का कचरा दुर्बल देशों में फेका जा रहा है । समुद्र , नदियाँ आदि नागरी कचरा से प्रदूषित हो रहे हैं ।
प्लास्टिक के विषय में जो हास्यास्पद नाटक रचा जा रहा है , उससे हम सभी परिचित हैं । प्लास्टिक का शोध किया , उत्पादन किया , मार्केट में भर दिया , जनता की भी आदत बिगाड़ी , अब जोर शोर से प्रचार है की प्लास्टिक का बहिष्कार करो । साधारण जनता प्लास्टिक के उपयोग के लिये दण्डित किया जा रही है ।
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