ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २३६
आहाराः सात्त्विकप्रियाः .. (अध्याय १७ - श्लोक ८)
ஆஹாராஹ ஸாத்விக ப்ரியாஹ .. (அத்யாயம் 17 - ஶ்லோகம் 8)
Aahaaraah Saatvika Priyaah .. (Chapter 17 - Shlokam 8)
अर्थ : सात्त्विकी व्यक्ति को इस प्रकार का आहार प्रिय है ।
श्री कृष्ण के कथनानुसार सत्त्व प्रधान व्यक्ति के लिए इस प्रकार के आहार प्रिय है । भोजन तो भूख मिटाने किये जाना चाहिए । परन्तु , साथ ही साथ रूचि भी जुड़ जाती है । रूचि मनुष्य मनुष्य में भिन्न है । किसी की रूचि उसके स्वभाव के अनुरूप है । उसमें प्रधान रूप से जो गुण है , उसके अनुसार उसकी रूचि है ।
सत्त्व गुण प्रधान व्यक्ति के लिए किस प्रकार का आहार प्रिय है ? सत्त्व याने ज्ञान । सत्त्व याने प्रकाश । सत्त्व याने जो सही है , जिसमें भलाई है , उसे करने की प्रवृत्ति । सत्त्व में रूचि , प्रिय , अप्रिय आदि विषयों के लिए स्थान नहीं । केवल विवेक पूर्ण चिन्तन और उस आधार पर निर्णय , यही सत्त्व का प्रकट स्वरुप है । आहार विषय में भी यही सत्य है । शरीर के लिए जो पोषक है , जीर्ण होने में जो सुलभ है , शारीरिक आरोग्य के लिए जो अनुकूल है , शरीर के लिए आवश्यक सत्त्व और पोशाक जिस भोजन से मिलता हो , वही सात्त्विक व्यक्ति के लिए प्रिय है । श्री कृष्ण का भी यही कहना है । श्री कृष्ण भोजन की सूची दे नहीं रहे । भोजन के प्रकार बता नहीं रहे । रुचियों का उल्लेख कर नहीं रहे ।
क्या खायें ?? शरीर के लिए भला किस प्रकार के भोजन में है ? शरीर के लिए आवश्यक सत्त्व और पोशाक प्रदान करने वाला भोजन कौनसा है ?? श्री कृष्ण के अनुसार भोजन को चुनने का उत्तरदायित्त्व उसी पर है । यहीं रूचि का महत्त्व आता है । उसे (सात्त्विक व्यक्ति के लिए) सहज जो रुचता है , वही युक्त भोजन है । प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों में खिलाये जाने वाला भोजन , ह्रदय विकार से पीड़ित रोगियों को सुझाये जाने वाला आहार , रोगियों के चिकित्सा का अंग जो भोजन है वह सात्त्विक व्यक्ति को सहज रुचता है ।
समाज में सात्विकता पोषित रहे इस हेतु में एक व्यवस्था है ब्राह्मण समाज और उसमे प्रचलित रीतियाँ । ब्राह्मण परिवारों में ग्रहण किये जाने वाला भोजन कैसा है ? मित रुचि , रस पूर्ण , स्निग्ध या घी युक्त आहार , चूल्हा से सीधा थाली में आने वाला ताजा भोजन , दैनिक भाजी पाला और ताक (तक्रम) या छाज .. तड़क भड़क खाने वालों के लिए , अधिक खारा , अधिक तीखा , अधिक खट्टा खाने वालों के लिए , तला हुआ , भुजा हुआ खाने वालों के लिए ब्राह्मण घरों में खाये जाने वाला आहार रुचता नहीं । नमक मिर्च रहित ऐसा परिहास भी किया जाता है । परन्तु रोगियों के लिए इसी प्रकार का भोजन सुझाया जाता है । अतः शारीरिक आरोग्य के लिए इस प्रकार का भोजन युक्त है , यही निष्कर्ष निकल सकता है ।
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