ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २३८
भोजनम तामसप्रियम .. (अध्याय १७ - श्लोक 10)
போஜனம் தாமஸ ப்ரியம் .. (அத்யாயம் 17 - ஶ்லோகம் 10)
Bhojanam Tamasapriyam .. (Chapter 17 - Shlokam 10)
अर्थ : तामसी को प्रिय भोजन ।
तमो गुणी के , तामसी के इष्ट आहार कैसा है ?
यातयामं .. एक जाम से पुराना भोजन .. एक जाम याने लगभग २ घंटे .. पुराना भोजन खट्टा हो जाता है .. Ferment हो जाता है । इस प्रकार का भोजन बुद्धि को मन्द बनाता है । मेरे बालपन में मेरे घर में इडली , दोसा कभी ४ , ५ महीनों में एक बार बनते थे । उपमा , पोंगल आदि अन्य कई प्रकार के भोजन बनते थे । ये सभी Fresh , ताजा भोजन प्रकार हैं । परन्तु इडली दोसा नहीं । एक ही कारण हो सकता है की इन के लिए एक दिन पूर्व दलन तैयारी कर उसे खट्टा करना पड़ता है । आज लगभग प्रति दिन इडली दोसा खाने वाले घर हैं । ये आसानी से बनाये जा सकते हैं । आठ दस दिनों के लिए दलन बनाकर फ्रिड्ज में रख लेते हैं । (तामसी का एक और लक्षण है आलस्य ।) उत्तर भारत में रोटी खाने वाले घरों में रोटी ताजा ताजा बनाकर सीधे चूल्हा से थाली पर परोसी जाती हैं । दक्षिण आफ्रिका में कई घरों में सप्ताह भर के लिये रोटी , सब्जी , भात आदि बनाकर फ्रीजर में रख लेते हैं । बेकरी के उत्पादन ब्रेड आदि भी यातयामं हैं । पुराने हैं । माखन ताजा है । चीस (cheese) यातयामं है ।
गतरसं .. रस विहीन आहार । सूखा रूखा । रूचि खोया आहार ।
पूति .. सड़ा हुआ , दुर्गन्ध युक्त भोजन ..
पर्युषितं .. मिश्रित भोजन , खराब हुआ आहार ..
उच्छिष्टं .. जूठा आहार ..
अमेद्यं .. अशुद्ध भोजन ..
शराब , मामीश , अशुद्ध वातावरण में बनाया हुआ अशुद्ध भोजन , दुर्गन्धयुक्त भोजन , बांसी भोजन आदि तामसी के लिये इष्ट आहार हैं ।
तमो गुणी परिणाम की चिंता करता नहीं । अतः श्री कृष्ण इन भोजन प्रकार के परिणाम की चर्चा कर नहीं रहे ।
तमो गुणी के , तामसी के इष्ट आहार कैसा है ?
यातयामं .. एक जाम से पुराना भोजन .. एक जाम याने लगभग २ घंटे .. पुराना भोजन खट्टा हो जाता है .. Ferment हो जाता है । इस प्रकार का भोजन बुद्धि को मन्द बनाता है । मेरे बालपन में मेरे घर में इडली , दोसा कभी ४ , ५ महीनों में एक बार बनते थे । उपमा , पोंगल आदि अन्य कई प्रकार के भोजन बनते थे । ये सभी Fresh , ताजा भोजन प्रकार हैं । परन्तु इडली दोसा नहीं । एक ही कारण हो सकता है की इन के लिए एक दिन पूर्व दलन तैयारी कर उसे खट्टा करना पड़ता है । आज लगभग प्रति दिन इडली दोसा खाने वाले घर हैं । ये आसानी से बनाये जा सकते हैं । आठ दस दिनों के लिए दलन बनाकर फ्रिड्ज में रख लेते हैं । (तामसी का एक और लक्षण है आलस्य ।) उत्तर भारत में रोटी खाने वाले घरों में रोटी ताजा ताजा बनाकर सीधे चूल्हा से थाली पर परोसी जाती हैं । दक्षिण आफ्रिका में कई घरों में सप्ताह भर के लिये रोटी , सब्जी , भात आदि बनाकर फ्रीजर में रख लेते हैं । बेकरी के उत्पादन ब्रेड आदि भी यातयामं हैं । पुराने हैं । माखन ताजा है । चीस (cheese) यातयामं है ।
गतरसं .. रस विहीन आहार । सूखा रूखा । रूचि खोया आहार ।
पूति .. सड़ा हुआ , दुर्गन्ध युक्त भोजन ..
पर्युषितं .. मिश्रित भोजन , खराब हुआ आहार ..
उच्छिष्टं .. जूठा आहार ..
अमेद्यं .. अशुद्ध भोजन ..
शराब , मामीश , अशुद्ध वातावरण में बनाया हुआ अशुद्ध भोजन , दुर्गन्धयुक्त भोजन , बांसी भोजन आदि तामसी के लिये इष्ट आहार हैं ।
तमो गुणी परिणाम की चिंता करता नहीं । अतः श्री कृष्ण इन भोजन प्रकार के परिणाम की चर्चा कर नहीं रहे ।
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