ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २५२
काम्यानां कर्मणां न्यासं सन्न्यासम् । (अध्याय १८ - श्लोक २)
காம்யானாம் கர்மணாம் ந்யாஸம் ஸந்ந்யாஸம் - (அத்யாயம் 18 - ஶ்லோகம் 2)
Kaamyaanaam Karmanaam Nyaasam Sannyaasam ... (Chapter 18 - Shlokam 2)
अर्थ : कामना से प्रेरित कर्मों को छोड़ना सन्न्यास है ।
वर्णाश्रम व्यवस्था जो हिन्दू धर्म का प्रमुख अंग है , उसी का भाग है सन्न्यास आश्रम । संसारी जीवन को पूर्णतः जगने के पश्चात संसार से बहिर्गमन की तैयारी का पर्व है सन्न्यास । यह हिन्दू धर्म की एक विशेष और अद्वितीय व्यवस्था है । संसारी जीवन यह अनेक कार्यों का संच है । अतः ,संसार को त्यागकर सन्न्यास आश्रम में प्रवेश करने को कर्मों का त्याग ही सहज समझा जाता है । परन्तु सभी कार्यों को त्यागना , कुछ भी किये विना रहना यह असम्भव है । शरीर में ऊर्जा रही और आसपास कुछ चहेते हों जो स्वयं को उनके शिष्य कहते हैं तो उन्हें किसी भी कार्य में जुडे बिना रहना कठिन है । कम से कम योजना बताना या मार्ग दर्शन करना तो रुकेगा नहीं । कार्यों से मुक्त होना कठिन है । अतः कार्यों का त्याग किये बिना , उनके प्रति आसक्ति का त्याग करना ही सन्न्यास है । कार्यों से निजी अपेक्षा न रखना ही सन्न्यास है । श्री कृष्ण का यही कहना है ।
आज अधिकांश सन्न्यासी स्वयं को ख्रिस्ती पादिरियों के साथ तुलना कर , उनसे स्पर्धा में लगते हैं और हॉस्पिटल , विद्यालय , महाविद्यालय , हॉस्टल , इंजिनीरिंग कॉलेज आदि चलाने लगे हैं । इस कार्य में बैंक खाते , सरकारी कार्यालय , सरकारी अधिकारी , घूस , कर सम्बन्धी चर्चायें , न्यायालय में आरोप - प्रत्यारोप , समाचार पत्रिकाओं में किम - वदन्ति वाद , राजनैतिक नेताओं का हस्तक्षेप , आदि आदि सभी चर्चाओं से घिरे जीवन जी रहे हैं । संपत्ति के झगड़े , गट बाजी , आदि गृहस्थी समस्या सन्न्यासियों को भी ग्रसित किये हुए हैं ।
योग , वेद , आयुर्वेद , वेदांत , भगवद्गीता , धर्म शास्त्र , आगम शास्त्र , ज्योतिष शास्त्र , शिल्प शास्त्र , भजन , संगीत , आदि धर्म सम्बन्धी विषयों में प्रशिक्षण हेतु आधुनिक सुविधा और उपकरणों के साथ प्रतिष्ठित विद्यालय महाविद्यालय और छात्रालय चलाना ही सन्न्यासियों के लिये उचित होगा !! इन प्रशिक्षण केन्द्रों से धर्म के संरक्षक तैयार होंगे । अंग्रेजी माध्यम से विद्यालय , महाविद्यालय और इंजिनीरिंग काँलेज चलाने से धर्म का संवर्धन , धर्म का संरक्षण की दिशा में कई उपयोग ?? इन सन्न्यासियों के बड़े बड़े चित्र लगे इमारतें बनेंगे । बस !! अन्य कोई विशेषता नहीं । इन विद्यालय - महाविद्यालयों से उत्तीर्ण विद्यार्थी भी अन्य विद्यार्थियों जैसे ही किसी बहु राष्ट्रीय कंपनी के कर्मी बनाते हैं । किसी अमेरिकी के नौकर बनकर देश से निकल जाते हैं । सन्न्यासियों को इस कार्य में लगना उचित नहीं । यह तो व्यापारियों का , सरकार का कार्य है । आज श्री राम देव बाबा ऐसे सन्न्यासी हैं जो केवल योग के लिए विशाल प्रशिक्षण केंद्र चलाते हैं । आयुर्वेद के लिए एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय चलाते हैं और वेद प्रशिक्षण केंद्रसभी चलाते हैं । श्री शंकर मठ , विशेषतः श्री काञ्ची शंकर मठ लगभग २५० से अधिक वेद पाठशालायें चलाता है । सन्न्यासियों से यही अपेक्षा है । ये केन्द्रों में भी दैनिक व्यवहार और इनका संचालन गृहस्थियों द्वारा ही हो । सन्न्यासी केवल प्रेरणा का स्रोत बनकर रहे ।
आज अधिकांश सन्न्यासी स्वयं को ख्रिस्ती पादिरियों के साथ तुलना कर , उनसे स्पर्धा में लगते हैं और हॉस्पिटल , विद्यालय , महाविद्यालय , हॉस्टल , इंजिनीरिंग कॉलेज आदि चलाने लगे हैं । इस कार्य में बैंक खाते , सरकारी कार्यालय , सरकारी अधिकारी , घूस , कर सम्बन्धी चर्चायें , न्यायालय में आरोप - प्रत्यारोप , समाचार पत्रिकाओं में किम - वदन्ति वाद , राजनैतिक नेताओं का हस्तक्षेप , आदि आदि सभी चर्चाओं से घिरे जीवन जी रहे हैं । संपत्ति के झगड़े , गट बाजी , आदि गृहस्थी समस्या सन्न्यासियों को भी ग्रसित किये हुए हैं ।
योग , वेद , आयुर्वेद , वेदांत , भगवद्गीता , धर्म शास्त्र , आगम शास्त्र , ज्योतिष शास्त्र , शिल्प शास्त्र , भजन , संगीत , आदि धर्म सम्बन्धी विषयों में प्रशिक्षण हेतु आधुनिक सुविधा और उपकरणों के साथ प्रतिष्ठित विद्यालय महाविद्यालय और छात्रालय चलाना ही सन्न्यासियों के लिये उचित होगा !! इन प्रशिक्षण केन्द्रों से धर्म के संरक्षक तैयार होंगे । अंग्रेजी माध्यम से विद्यालय , महाविद्यालय और इंजिनीरिंग काँलेज चलाने से धर्म का संवर्धन , धर्म का संरक्षण की दिशा में कई उपयोग ?? इन सन्न्यासियों के बड़े बड़े चित्र लगे इमारतें बनेंगे । बस !! अन्य कोई विशेषता नहीं । इन विद्यालय - महाविद्यालयों से उत्तीर्ण विद्यार्थी भी अन्य विद्यार्थियों जैसे ही किसी बहु राष्ट्रीय कंपनी के कर्मी बनाते हैं । किसी अमेरिकी के नौकर बनकर देश से निकल जाते हैं । सन्न्यासियों को इस कार्य में लगना उचित नहीं । यह तो व्यापारियों का , सरकार का कार्य है । आज श्री राम देव बाबा ऐसे सन्न्यासी हैं जो केवल योग के लिए विशाल प्रशिक्षण केंद्र चलाते हैं । आयुर्वेद के लिए एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय चलाते हैं और वेद प्रशिक्षण केंद्रसभी चलाते हैं । श्री शंकर मठ , विशेषतः श्री काञ्ची शंकर मठ लगभग २५० से अधिक वेद पाठशालायें चलाता है । सन्न्यासियों से यही अपेक्षा है । ये केन्द्रों में भी दैनिक व्यवहार और इनका संचालन गृहस्थियों द्वारा ही हो । सन्न्यासी केवल प्रेरणा का स्रोत बनकर रहे ।
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