ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २५४
मोहात्तस्य परित्यागः - तामस त्याग .. (अध्याय १८ - श्लोक ७)
மோஹாத்தஸ்ய பரித்யாகஹ - இது தாமஸ த்யாகம் .. (அத்யாயம் 18 - ஶ்லோகம் 7)
Mohaat Tasya Parityaagah - This is Taamasa Sacrifice .. (Chapter 18 - Shlokam 7)
अर्थ : मोह के वश में आकर किया जाने वाला त्याग यह तामसी त्याग है ।
प्रधानता से तमस या तमोगुण प्राप्त मनुष्य अज्ञान के कारण अथवा आलस्य के कारण अपने कर्म करता नहीं । करणीयं एवं अकरणीयम के विषय में अज्ञान । हठ यह तामसी की सहज वृत्ति है । अतः , यदि अन्य कोई उसे क्या करें और क्या न करें इस विषय में सुझाये तो , अपने हठ के कारण उस सुझाव को स्वीकारता नहीं । और यदि स्वयं कर्तव्यं - अकर्तव्यं के विषय में जानता भी , उस में बसे आलस्य उसे कर्म करने से रोक देता है । इस प्रकार , मोहवश होकर जब कर्म त्यागे जाते हैं , तो उसे तामसी त्याग कहते हैं श्री कृष्ण ।
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