ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २५६
सङ्गं त्यक्त्वा फलं चैव स त्यागः सात्त्विकः .. (अध्याय १८ - श्लोक ९)
ஸங்கம் த்யக்த்வா ஃபலம் சைவ ஸ த்யாகஹ் ஸாத்விகஹ .. (அத்யாயம் 18 - ஶ்லோகம் 9)
Sangam Tyaktvaa Phalam Chaiva Sa Tyaagah Saattvikah ... (Chapter 18 - Shloka 9)
अर्थ : कर्म के साथ आसक्ति एवं उससे फल की अपेक्षा का त्याग यह सात्त्विकी त्याग है ।
सत्त्व गुण प्रधान व्यक्ति कर्मों का त्याग करता नहीं । वह जानता है की कर्म में लगे विना इह लोक में रहना असम्भव है । सात्त्विक पुरुष कर्मों में लगा रहता है , उनमें राग किये विना । कर्तव्य भाव से कर्मों में लगा रहता है । उसी प्रकार कर्म फल के विषय में भी निरासक्त रहता है । ऐसा त्याग जिसमे कर्म एवं कर्मफल के प्रति आसक्ति का त्याग हो , उसे श्री कृष्ण सात्त्विकी त्याग कह रहे हैं ।
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