ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २६३
यत्तु कृत्स्नवत एकस्मिन् कार्ये सक्तमहैतुकम् अतत्त्वार्थवत् अल्पम् च तत्तामसम् ... (अध्याय १८ - श्लोक २२)
யத்து க்ருத்ஸ்னவத் ஏகஸ்மின் கார்யே ஸக்தம் அஹைதுகம் அதத்வார்தவத் அல்பம் ச தத்தாமஸம் .. (அத்யாயம் 18 - ஶ்லோகம் 22)
Yattu Krutsnavat Ekasmin Kaarye Saktam Ahaitukam Atattvaarthavat Alpam cha Tattaamasam .. (Chapter 18 - Shlokam 22)
अर्थ : जो ज्ञान हठ से एक विषय को धरकर , अल्प और असत्य उस को ही पूर्ण मानता , वह तामसी है ।
तामसी ज्ञान का प्रखर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कम्यूनिस्ट , विशेषतः भारत देश के कम्यूनिस्ट । यहाँ श्री कृष्ण द्वारा कहे गए प्रत्येक शब्द कम्यूनिस्टों के लिये शत प्रति शत जचते हैं , मानो उन्हीं के लिये कहे गये हों । एक असत्य धारणा को अन्धी दृढ़ता से धरता है तामसी ज्ञान । असत्य धारणा ... शक्तिशाली तानाशाही सरकार से प्रस्तुत होकर भी कम्यूनिस्ट धारणा केवल सत्तर वर्षों में ढहकर चिन्नाभिन्न हो गया । अपने साथ १२ , १४ देशों में स्थिर जम गये जैसे प्रतीत होने वाले तानाशाही राज्यों को उखाड़ फेंक दिया । केवल असत्य का ही ऐसा हाल हो सकता है । अल्प धारणा को पूर्ण समझना .. मनुष्य के लिए भूख ही प्रमुख समस्या है और उसे मिटाना ही जीवन में सर्वोपरि कार्य है ; भगवान , धर्म , आदि अनावश्यक हैं ; मनुष्य के लिये विवाह , परिवार , निजी संपत्ति , आदि भी अनावश्यक हैं ; सभी अधिकार सरकार के ही पास रहें ; साधारण मनुष्य का कोई अधिकार नहीं ; सरकार श्रमिकों का और तानाशाही ; ये हैं कम्यूनिस्टों के कुछ घोषणा । अल्प ज्ञान को दर्शाने वाले ये घोषणा आज विश्व भर शान्त हो गए , परन्तु भारत में कुछ व्यक्ति कम्यूनिस्ट दूकान चालु रखे हुए हैं । ये तामसी ज्ञान का ही प्रदर्शन कर रहे हैं ।
मनुष्य तो केवल उसका शरीर है ; शारीरिक सुख ही उसके लिये प्रधान है ; सुख भोग के विषयों कप प्राप्त करना ही जीवन में उन्नत लक्ष्य है ; ये विचार हैं अमेरिकी भोगवाद के । ये तामसी ज्ञान प्रकट करते हैं ।
यह जीवन ही मनुष्य के लिये प्राप्त एकमेव और अन्तिम अवसर है । २००० वर्ष पूर्व एक मनुष्य द्वारा बोला गया वचन अन्तिम सत्य है । उसमे कोई भी परिवर्तन अनुचित और दंडनीय है । इस विचार के अलावा संसार में व्यक्त अन्य सभी विचार "असत्य" हैं और उन्मूलन के योग्य हैं । ये विचार हैं ख्रिस्ती और इस्लाम पन्थों के । ये पंथ , इनके वे पुस्तक और इनके अनुयायी भी तामसी ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं ।
मनुष्य तो केवल उसका शरीर है ; शारीरिक सुख ही उसके लिये प्रधान है ; सुख भोग के विषयों कप प्राप्त करना ही जीवन में उन्नत लक्ष्य है ; ये विचार हैं अमेरिकी भोगवाद के । ये तामसी ज्ञान प्रकट करते हैं ।
यह जीवन ही मनुष्य के लिये प्राप्त एकमेव और अन्तिम अवसर है । २००० वर्ष पूर्व एक मनुष्य द्वारा बोला गया वचन अन्तिम सत्य है । उसमे कोई भी परिवर्तन अनुचित और दंडनीय है । इस विचार के अलावा संसार में व्यक्त अन्य सभी विचार "असत्य" हैं और उन्मूलन के योग्य हैं । ये विचार हैं ख्रिस्ती और इस्लाम पन्थों के । ये पंथ , इनके वे पुस्तक और इनके अनुयायी भी तामसी ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं ।
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