ॐ
गीता की कुछ शब्दावली - २६०
अधिष्ठानं कर्ता करणं चेष्टा दैव पञ्चैतानि कारणानि .. (अध्याय १८ - श्लोक १३ , १४)
அதிஷ்டானம் கர்தா கரணம் சேஷ்டா தைவம் பஞ்சைதானி காரணானி .. (அத்யாயம் 18 - ஶ்லோகம் 13 , 14)
Adhishthaanam Kartaa Karanam Cheshtaa Dhaivam Panchaitaani Kaaranaani .. (Chapter 18 - Shloka 13 , 14)
अर्थ : अधिष्ठान (शरीर) , कर्ता , करणं (इन्द्रियाँ) , विविध चेष्टायें और दैवी शक्ति - ये पाँच कारण हैं कर्म के ।
कर्म के पाँच कारण हैं । अधिष्ठानम - आधार - शरीर यह आधार है , अधिष्ठान है । शरीर के बिना कर्म असम्भव है । भूलोक पर जीते पर्यन्त ही कर्म सम्भव है । कर्ता - शरीर में रहकर जो करता है । मैं कर्ता हूँ इस भाव जो कर्मों में लगा है वह कर्ता । करणम - उपकरण । मनुष्य के लिये इन्द्रिय ही कर्म के उपकरण हैं , पाँच ज्ञानेन्द्रिय और पाँच कर्मेन्द्रिय । चेष्टा - इनके द्वारा मनुष्य से होने वाले विविध प्रयत्न । दैव - दैवी शक्ति का साथ , भगवान का अनुग्रह ।
यह अन्य कई विषयों में भी लागू है । "भूख लगी है । भूख मिटाने कुछ खायें" यह अधिष्ठान है । आम के वृक्ष में लटकते हुए फल दिखते हैं । जिसे भूख लगी है और जिसमें आम तोड़कर खाने का विचार है वह कर्ता । उसके हाथ , आँख , पत्थर , रस्सी , बम्बू , चाकू आदि करण हैं । उछलकर फल तोडनेका प्रयत्न , पत्थर मारकर तोडने का प्रयत्न , वृक्ष पर चढ़कर तोड़ने का प्रयत्न , बम्बू से तोड़ने का प्रयत्न , बम्बू के साथ चाकू बांधकर फल को काँट गिराने का प्रयत्न आदि चेष्टा हैं । फल तोड़ा जाना , फल अपने हाथ तक पहुँचना , फल खाने योग्य रहना , फल खाया जाना आदि विषयों में दैवानुग्रह की आवश्यकता है । फल तोडा न जाना सम्भव है । फल पका न हो या कीड़ा युक्त हो या कच्चा हो और खाने योग्य न हो , यह सम्भव है । खाते समय अन्य कोई उसे छीन ले जाय , यह भी सम्भव है । देव का अनुग्रह हो तो वह खाया जाएगा और भूख मिटाएगा ।
जो वैज्ञानिक शोध कार्य अब तक हुए हैं वह अधिष्ठान है । शोध कार्य में लगने वाला कर्ता है । कार्य शाला , रसायन , वैज्ञानिक उपकरण आदि करण हैं । शोध कार्य में किये जाने वाले अन्यान्य प्रयत्न चेष्टा हैं । दैवानुग्रह तो आवश्यक है ही । ये पाँचो जुड़ें तो शोधकार्य यशस्वी होता है ।
यह अन्य कई विषयों में भी लागू है । "भूख लगी है । भूख मिटाने कुछ खायें" यह अधिष्ठान है । आम के वृक्ष में लटकते हुए फल दिखते हैं । जिसे भूख लगी है और जिसमें आम तोड़कर खाने का विचार है वह कर्ता । उसके हाथ , आँख , पत्थर , रस्सी , बम्बू , चाकू आदि करण हैं । उछलकर फल तोडनेका प्रयत्न , पत्थर मारकर तोडने का प्रयत्न , वृक्ष पर चढ़कर तोड़ने का प्रयत्न , बम्बू से तोड़ने का प्रयत्न , बम्बू के साथ चाकू बांधकर फल को काँट गिराने का प्रयत्न आदि चेष्टा हैं । फल तोड़ा जाना , फल अपने हाथ तक पहुँचना , फल खाने योग्य रहना , फल खाया जाना आदि विषयों में दैवानुग्रह की आवश्यकता है । फल तोडा न जाना सम्भव है । फल पका न हो या कीड़ा युक्त हो या कच्चा हो और खाने योग्य न हो , यह सम्भव है । खाते समय अन्य कोई उसे छीन ले जाय , यह भी सम्भव है । देव का अनुग्रह हो तो वह खाया जाएगा और भूख मिटाएगा ।
जो वैज्ञानिक शोध कार्य अब तक हुए हैं वह अधिष्ठान है । शोध कार्य में लगने वाला कर्ता है । कार्य शाला , रसायन , वैज्ञानिक उपकरण आदि करण हैं । शोध कार्य में किये जाने वाले अन्यान्य प्रयत्न चेष्टा हैं । दैवानुग्रह तो आवश्यक है ही । ये पाँचो जुड़ें तो शोधकार्य यशस्वी होता है ।
Comments
Post a Comment