ॐ गीता की कुछ शब्दावली - ३२ किं कर्म किमकर्म ... (अध्याय ४ - श्लोक १७) கிம் கர்ம கிம் அகர்ம ... (அத்யாயம் 4 - ஶ்லோகம் 17) Kim Karma Kim Akarma ... (Chapter 4 - Shlokam 17) अर्थ : कर्म क्या है ? अकर्म क्या है ? अद्भुत प्रश्न हैं ये | उत्तर ? "बुद्धिमान् ज्ञानी भी इन प्रश्नों के उत्तर प्राप्ती मे संभ्रमित होते हैं" श्री कृष्ण कह रहे हैं | (कवयोsप्यत्र मोहिताः |) इन प्रश्नों के सर्व सामान्य उत्तर है नहीं | इन पर चिन्तन करें और अपना उत्तर स्वम खोजने की चेष्टा करें | उत्तर मिल जाये जिसे वह भाग्यशाली | उन उत्तरों को अपने जीवन मे उतारें जो उसे तो पूर्णत्व प्राप्त हो गया ऐसा ही माने | कर्म क्या हैं ? अकर्म क्या हैं ? ये प्रश्न ही क्यूं ? मनुष्य जीवन मे कर्म अनिवार्य हैं | गर्भावस्था मे ही कर्म प्रारम्भ हो जाते हैं | जीवन के अन्तिम श्वास तक चलते हैं | उसके बाद भी शरीर के पञ्चभूतों का प्रकृति मे विसर्जन भी तो कर्म है | पश्चात ज...
राम गोपाल रत्नम्