ॐ गीता की कुछ शब्दावली - ३४ यस्य सर्वे समारम्भाः काम सङ्कल्प वर्जिताः (अध्याय ४ - श्लोक १९) யஸ்ய ஸர்வே ஸமாரம்பாஹ காம ஸங்கல்ப வர்ஜிதாஹ (அத்யாயம் 4 - ஶ்லோகம் 19) Yasya Sarve Samaarambhaah KaamaSankalpa Varjitaah (Chapter 4 - Shloka 19) अर्थ : जिसके सर्व कर्म कामना एवं संकल्प रहित हो ... इस शब्दावली मे प्रयोग मे आये शब्दों को समझे | संकल्प : संकल्प काम का पूर्व अवतार है | हम जब किसी विषय को देखते हैं अथवा कोई विषय सुनते हैं अथवा किसी विषय का विचार करते हैं तो उक्त विषय के अनुकूल कई विचार अपने मनस मे उठते हैं | "यह उपयोगी विषय या वस्तु है |" "निश्चित ही यह विषय सस्ता है |" "ऐसी मान्यता है की यह दीर्घ काल तक काम करेगा |" "यह अपने स्वास्थ्य के लिये हितकारी है |" "प्रतिष्ठित व्यक्ति इसका उपयोग करते हैं |" "यह दुर्लभ विषय है | यह बहुत कम व्यक्तियों के पास है |" "यह स्वदेशी है अपने ही प्रदेश मे अपने ही जन द्वारा यह बनाया गया है ...
राम गोपाल रत्नम्