ॐ गीता की कुछ शब्दावली - ४३ योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत ... (अध्याय 4 - श्लोक ४२) யோகமாதிஷ்டோத்திஷ்ட பாரத ... (அத்யாயம் 4 - ஶ்லோகம் 42) Yogamaaatthishtotthishta Bharata ... (Chapter 4 - Shlokam 42) अर्थ : योग मे स्थित होकर उठो ... हे भारत ... योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत ... योग में स्थिर रहकर उठो हे भारत !! भरत वंश में जनित अर्जुन यहाँ भारत नाम से संबोधित किया जा रहा है । इस शब्दावली द्वारा श्री कृष्ण अर्जुन को आह्वान कर रहें हैं । अपितु भारत इस नाम का प्रयोग से ऐसा लग रहा है की श्री कृष्ण ने यह आह्वान भारत देश के लिए ही किया है । भारत देश जो विश्व में एकमेव है, सनातन है, श्रेष्ठ है, और जो आज विस्मित अवस्था में दीर्घ काल निद्रा में मग्न है, इस आह्वान के लिए योग्य ही है । वेद ने भी इन्हीं शब्दों में संपूर्ण मनुष्य समुदाय के लिए आह्वान किया है । उत्तिष्ठत ! जागृत !! प्राप्यवरान निबोधत !!! उठो ! जागो !! लक्ष्य प्राप्ती पर्यन्त रुको नहीं !!! एक सौ तीस वर्ष पहले स्वामी विवेका...
राम गोपाल रत्नम्