ॐ गीता की कुछ शब्दावली - १५७ मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन् ... (अध्याय १२ - श्लोक १०) மதர்தமபி கர்மாணி குர்வன் ... (அத்யாயம் 12 - ஶ்லோகம் 10) Madarthamapi Karmaani Kurvan ... (Chapter 12 - Shlokam 10) अर्थ : कर्मों को मेरे लिये कर । सर्व कर्मों को मेरे लिये कर । सगुण उपासना के मार्ग में श्री कृष्ण के सुझाये गए कई योजना में एक है यह । एक सरासर माता पिता के उदाहरण से यह विषय समझा जा सकता है । माता जो कुछ करती है अपने बच्चे के लिए ही करती है । बच्चा स्वस्थ निरामय रहे इस लिए भोजन पकाती है । बच्चा जागे रहे और पढ़े इस लिये स्वयम् जागती है । उसके अनुरूप अपनी निद्रा का समय को रचती है । बच्चे को सिखाने अपने आप को समर्थ बनाती है । नए विषय सीखती है । पति यदि अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है , वह जो घर के बाहर कभी निकली नहीं , बाहरी दुनिया से जो अनभिज्ञ है , बाहर निकलती है , नयी व् योग्य क्षमता विक्सित करती है , संघर्षों को झेलती है और बच्चों को पाल पोसकर बढ़ाती है । पिता संसार में घूमता ...
राम गोपाल रत्नम्